Monday, January 9, 2012

तजुर्बा


पिछले कुछ सालों का तजुर्बा मुझे यह बता रहा था कि पुरानी बातें कभी-न-कभी हमेशा याद आती हैं. जैसे, कैसे मैं हमेशा ऑस्ट्रेलिया या न्यूज़ीलैण्ड में चल रहे क्रिकेट मैचों को देखने सुबह-सुबह उठ जाता था! और मेरे परिवार के सदस्य ये समझते थे कि मुझे क्रिकेट में इतनी रुचि है कि इतनी सुबह उटकर कभी पढ़ाई करने का मन नहीं हुआ. क्रिकेट से इतना लगाव कैसा? यह प्रश्न हमेशा घर में पूछा जाता था. मेरी सोच में, पढ़ाई एक ऐसी चीज़ थी जो हमेशा पीछा नहीं छोड़ती थी. क्योंकि वह हर साल, हर वक्त करनी होती थी. और कोई मार्ग नहीं था. इसीलिए दिल बार-बार बोलता था कि क्रिकेट हर रोज देखने को नहीं मिलता सो जितना समय मिलता हे, देखो. पढ़ाई थो बाद में भी होती रहेगी.


लेकिन मैंने हर उस पल का अच्छे से लुफ़्त उठाया जो ज़िंदगी में थोड़ी रोमाँच जगा देतीं थीं. में सिर्फ क्रिकेट देखने के लिए बस नहीं उठता था, पर एक-एक बारीकियाँ को देखने जैसे कि बाहरी देश के लोग. वहाँ की आबो-हवा. वहाँ का पर्यावरण. जीव-जंतु. वो सब देखकर ऐसा मन करता था कि मैं कब ऐसे दूसरी तरह की संस्कृति में जाकर एक नया अनुभव कर सकूँ. फिर जितना टी.वी. पर दिखता था, उतना ही मन आकर्षित होता था. क्योंकि क्रिकेट देखने वाले दुसरे देश के लोगों को एक झलक दिखलाना हमेशा से ही टी.वी. वालों का काम रहा है.


वो ऐसे समय थे जब टेलिविशन पर हर ओवर के बाद  विज्ञापन नहीं आते थे. मैच के दौरान कमेंटेटरों की बहुत सारी रायें ओवर ख़त्म होने के बाद ही होतीं हैं. और वह सब सुनने का मौका आजकल विज्ञापन के दौरान नसीब ही नहीं होता. BCCI पैसों से खेल रही है. टेलिविशन के दर्शकों के लिए पहले से भी ज्यादा विज्ञापन और मनोरंजन परोस कर कम्पनियाँ काफी व्यापार कर रहीं हैं. लिहाजा है की खेल पर इसका असर होना ही था. 20-20 क्रिकेट से पिछले 2-3 साल में जितना व्यापार हुआ हे उतना पिछले 10 सालों में नहीं हुआ होगा. अभी जब में यह लिख रहा हूँ, भारतीय टीम, ऑस्ट्रेलियाई टीम से बहुत बुरी तरह पिट रही है. क्या भारतीय क्रिकेट पतन की तरफ जा रही है? यह निश्चय तो अब चयनकर्ता ही करेंगे.


एक बात अभी भी वही है और वो यह कि विदेशों में खेले जा रहे खेल को देखने के लिए अभी भी मेरे अन्दर उतना ही उत्साह हे जितना पहले था.

2 comments:

  1. wah re wah janab, meine kia socha aur aapne kia kar diya.
    achcha likha, apni dil k baath kahi , sab kia kia to fir cricket par?
    cricket tu bada lajawab nikla, ghuma fira kar wapas unhe wahi he pahuncha diya.
    writing was good seriously, its long time since u write in hindi. i appreciate it.

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  2. यह सिर्फ क्रिकेट की वजह से नहीं है कि मैं लिख रहा हूँ, पर बस ऐसे ही एक दिन ख्याल आया कि क्यों न मैं हिन्दी में लिखूँ. इसीलिए शुरू हो गया. अब कब रुकूंगा, पता नहीं!

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